भौहों (आईब्रो) से पहचाने किसी का भी व्यक्तित्व

girl with eyebrows focused

सामुद्रिक शास्त्र में मनुष्य की चहरे और शरीर के आकार विशेषकर बाहरी चिन्हों और लक्षणों के सहयोग से व्यक्ति की पर्सनालिटी का अनुमान लगाया जाता है| मानव के चहरे के बारे में अनेक महर्षियो, दार्शनिकों विचारकों, और वैज्ञानिकों ने अपने-अपने मत दिए हैं जिनके आधार पर व्यक्ति के चरित्र एवं गुणों की चर्चा की जा सकती है| आइये जानते हैं की भौहों के विषय में इन विद्वानों के के कहना|

    • भौहों के आकार-प्रकार और स्थिति मानव की चरित्र विशेषताओं की ओर इंगित करती है| कुछ विद्वान कमानीदार (धनुष के आकार वाली) भौहों के उत्तम मानते हैं
    • जिस नारी की भौहों के बाल खुरहरे हो तो वह निर्धन होती है| मोटी भौंहों वाली चरित्रहीन तथा जिनकी भौहों के बाल बड़े हो वह संतानहीन होती हैं|
    • जिन स्त्री की भौहें बीच में से नीचे दबी हुईं, आसपास की तरफ से उठी हुई और हलके रोम वाली होती हैं तो एसी स्त्रियाँ सौंदर्य प्रियता, कलात्मक रूचि वाली, और चंचल प्रकृति वाली होती हैं|
    • जिन व्यक्तियों की भौहें नाक ओर उठी हुई और कनपटी की ओर नीचे दबे किनारों वाली हों तो ऐसे व्यक्ति गंभीर, अध्ययन-प्रिय, उच्च विचार वाले, आस्तिक, परम्परावादी, एवं धर्मप्रिय होतें हैं|
  • जिन व्यक्तियों की भौहें मध्य भाग में कुछ ऊपर की ओर उठी हुई हैं आस-पास के किनारों पर झुकी हुई हैं तथा साधारण बालों से युक्त और मध्य में विभक्त भी हो तो ऐसे व्यक्तिय आर्थिक स्थिति से मध्यम, परिश्रमशील, शास्त्रों के ज्ञाता, अवसरवादी, ऋण ग्रस्त एवं निराश प्रकृति के होते हैं| इन व्यक्तियों में स्त्री के गुण होते हैं और ये नास्तिक, कठोर, एवं भ्रष्ट प्रकृति के भी होतें हैं|
  • यदि किसी व्यक्ति की भौहें आंतरिक छोरों पर उठी हुयी और बाहरी किनारों पर दबी हो तो ऐसे व्यक्ति व्यवहार-कुशल, प्रशासक, प्रगतिशील, सुवक्ता, भौतिकतावादी एवं कठोर स्वभाव होतें है| ऐसे व्यक्ति स्वप्नदर्शी, कल्पनाशील, और वासना-प्रिय भी होतें हैं|
  • यदि किसी व्यक्ति के भौहों के रोम घने, नाक की ओर पतली और बाहर की और चौड़ी, झाड़दार हों तो वह व्यक्ति सबल, चतुर, नेतृत्वप्रियता, कूटनीतिज्ञ, चालाक, भोग विलास प्रिये, प्रसिद्ध, एवं ख्याति प्राप्त होता हैं|ऐसे भौहों के स्वामी या स्वामिनी के नेत्र भी विशाल होते हैं| ऐसे व्यक्ति क्रोधी, अन्यायी, एवं अस्थिर प्रकृति के भी होतें है|
  • यदि किसी व्यक्ति की भौहें उलटे चषक (कप) के समतुल्य हों तो ऐसे व्यक्ति तीव्र कार्यक्षमता और विश्लेषण शक्ति की स्वामी होता है| ऐसा व्यक्ति मनमौजी और उदार प्रवृत्ति के होते हैं| सामन्यता: ऐसे व्यक्तियों की दृष्टि केन्द्रदित होतीं है|
  • यदि किसी व्यक्ती की भौहें मध्य में जुड़ी हुई, घनी, चौड़ी एवं बाहर की ओर पतली तथा नुकीली हो तो जातक के स्वभाव एवं चरित्र में महत्वकांक्षा, अभिलाषा, राजस-बुद्धि तथा लगनशीलता के गुण पाए जाते हैं|
  • यदि किसी जातक की भौहें अंदर की ओर झुकी हुयी और बाहर की ओर अत्यधिक ऊंची, नुकीली, हों तो ऐसे व्यक्ति की बुद्धि अविकसित एवं स्वभाव से वह उद्दंड होता है| ऐसे भौहों की स्वामिनी भी द्वेषी, ईष्यालु, चरित्रहीन एवं संतानहीन होती  हैं| ऐसे भौहों वाले व्यक्ति भ्रमित एवं मलिन बुद्धि वाले भी होते हैं| ऐसे व्यक्ति शायद ही कभी तरक्की पते हैं|

वास्तव में सामुद्रिक शास्त्र शारीरिक अंगों की आकृति एवं दशा देखकर चरित्र का आकलन करता है|ये आकलन किसी तरह की कोई गारेंटी तो नहीं देता लेकिन ये इस अनुमान लगाने में सहायता ज़रूर करता है की आप जिस व्यक्ति से मिल रहे हैं वह स्वभाव, चाल-चलन और व्यवहार से केसे हो सकता है.

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